Highlights
- मोबाइल टावर के रेडिएशन से क्या-क्या होते हैं नुकसान ?
- टावर से कौन सी किरणे निकलती है और ये कितनी खतरनाक होती हैं ?
- मोबाइल टावर लगाने के क्या-क्या है नियम ?
- जानवरो पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है ?
- रेडिएशन लेवल चेक करने के लिए क्या करे। नीचे दी गयी विडिओ देखें।
आप सब तो यह जानते ही होंगे की मोबाइल फ़ोन की हम सब के लाइफ में क्या अहमियत हो चुकी है आज के दिन में। पर क्या आपको यह पता है की यह कितना नुकसान कर रहा है हम लोगो को और अन्य जानवरो को ? आज कल मोबाइल फ़ोन के प्रयोगो को देखकर मोबाइल कम्पनिया जगह – जगह टावर लगवा रही है। इनके कई सारे लुभावने ऑफर्स के सीकर भी हम लोग ही हो रहे हैं। जैसे की घर पर टावर लगवाइये और 10 से 15 हजार महीने का पाइये और साथ में ही एक नौकरी भी। ऐसे ही ऑफर्स दे कर यह कम्पनिया मनमाने से टावर्स लगा रही है , तो कही न कही हम लोग ही इसके जिम्मेदार है।


चलिए आपको बताते है, मोबाइल टावर से कौन सी रेडिएशन निकलती है और यह होती क्या है ?
आपके जानकारी के लिए बता दें की मोबाइल टॉवरों से “इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगे ” जिन्हे विद्द्युत चुम्बकीय तरंगे कहा जाता है , निकलती है। अब आप यह सोच रहे होंगे के ये होती क्या है तो आइये जानते है की असल में क्या हटी है ये तरंगे ?
विद्द्युत चुम्बकीय तरंगे – ” वे तरंगे जिन्हे संचरित होने के लिए किसी भी माध्यम की आवस्यकता नहीं होती है उन्हें इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगे या विद्युत् चुम्बकीय तरंगे कहते है। ” अर्थात यह तरंगे निर्वात में भी संचरित होती हैं। आइये अब जानते है की इन तरंगो से क्या क्या नुकसान हो सकता है ?
मोबाइल टावर रेडिएशन से होने वाले नुकसान –
A – थकावट महसूस करना
रिपोर्ट्स की माने तो मोबाइल टावर्स के आस पास रहने वाले लोगो को अक्सर थकावट जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। जिससे उनके सर में दर्द बना रहता है और उनका स्वभाव भी चिढ़चिढ़ा हो जाता है। कुछ लोगो को तो भूलने की बीमारी , याददाश्त खो जानें जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है।
B – कैंसर का खतरा
लोगो का मानना है की जो लोग मोबाइल टावर के पास रहते है उमने कैंसर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। उनमे स्किन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। हालाँकि इसका अभी तक कोई पुख्ता सुबूत नहीं है , अपितु इस पर जाँच पड़ताल चल रही है यह कितना सही और कितना गलत है इस पर अभी टिप्पड़ी नहीं किआ जा सकता है।
C – बच्चों पर गहरा असर
इस विकिरण का बच्चों पर भी बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चो के आँखों से पानी आना , सर दर्द , तनाव , अनिद्रा जैसी स्थिति हो जाती है जिससे बच्चो में चिढ़चिढ़ापन बढ़ जाता है। बच्चो की याददाश्त पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है जो की उनके पढाई के अच्छी नहीं है।
D – जानवरो पर भी गहरा असर
इस के बारे में तो बॉलीवुड में एक फिल्म भी बन चुकी है “ROBOT 2″। इस फिल्म में यही दिखाया गया है की टावर से होने वाले रेडिएशन किस प्रकार पशु पक्षियों के नुकसान देह है। विडिओ देख कर आप खुद जान जायेंगे –
E – पेड़ो के लिए भी हानिकारक
कई अध्ययनों में पाया गया है कि टावर से निकलने वाले रेडिएशन पेड़ों के लिए भी अच्छे नहीं होते है. मोबाइल टावर एंटीना के सीधे संपर्क में आने से पेड़ों के ऊपरी हिस्से सूख जाते है जिसकी वजह से उनका विकास उतनी गति से नहीं होता, जितना होना चाहिए।
रेडिएशन लेवल चेक करने के लिए क्या करे। पूरी विडिओ देखें।
ऐसे ही कई नुकसान है इस रेडिएशन के। गर्भावस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ता है , रेडिएशन के संपर्क में रहने से भ्रूण कमजोर हो जाता है और गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
आइये जानते हैं मोबाइल टावर लगाने के क्या-क्या है नियम ?
A – यदि आप घर के छत पर टावर लगवा रहे हैं तो टावर सिर्फ एक एंटीना का होना चाहिए।
B – यदि गालिया पांच मीटर से काम चौड़ी हैं तो वहां टावर नहीं लग सकता।
C – टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होना चाहिए ।
D – घनी आबादी से दूर होना चाहिए।
E – जहा पर टावर लगाया जाता है , वह जगह खाली होनी चाहिए।
F – यदि कम आबादी में किसी भी बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, तो वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।
G – दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर होना अनिवार्य है ।
मोबाइल टावर के रेडिएशन से डिप्रेशन, कैंसर , भुलाने जैसी कई बीमारियां होती हैं। ब्रेन ट्यूमर के केसेज बढ़ने के पीछे मोबाइल टावर का रेडिएशन ही जिम्मेदार है। यूजर्स को मोबाइल का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
- डॉ रणविजय दूबे, न्यूरोलॉजिस्ट