आजकल खेती किसानी को नए नजरिये से करने और सीखने की जरूरत है। इस नजरिये को बहुत से लोग अपना भी रहे हैं और नए नए तरीके भी सीख रहे हैं। किसानी में भी काफी अच्छी कमाई की जा सकती है बस जरूरत है तो एक नए नजरिये का, नयी सोंच का। बीते कुछ दिनों से किसानो ने कई सारे अलग अलग तरह के तरीके आपनाये है और इन तरीको से उन्हें काफी फायदा भी हुआ है। बहुत से किसान है जो हमेशा नए नए तरीके की किसानी करने के लिए तत्त्पर रहते हैं। इन्ही किसानो के लिए आज हम बताने जा रहें हैं की मशरुम की खेती कैसे करें (Mushroom ki kheti kaise karen) और कैसे इससे अछि कमाई भी की जा सकती है।
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आप सभी यह तो जानते ही होंगे की मशरूम की खपत काफी है अपने देश में। शादी हो या फिर कोई छोटा मोटा फंक्शन मशरूम की सब्जी जरूर देखने को मिल जाती है। इस प्रकार इस सब्जी (कवक) की डिमांड दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है जो किसानो को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है। आज हम जानेंगे की इसकी खेती कैसे करें जिससे मुनाफा ज्यादा से ज्यादा कमाया जा सके।
Mushroom ki kheti kaise karen | How to do Mushroom farming in Hindi


मशरूम की खेती करने के लिए कुछ बाते ध्यान में रखनी चाहिए, जैसे कि:
- नस्ल का चुनाव ठीक से करें।
- खेती के लिए वातावरण अच्छा होना चाहिए।
- खेती में लगने वाला कम्पोस्ट अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए।
किस नस्ल की मशरूम की खेती की जाये?
सही नस्ल का चुनाव बहुत ही मायने रखता है। अगर गलती से भी आपने गलत नस्ल का चुनाव कर लिया, जो की भारत में नहीं होती है तो आपको भरी नुकसान हो सकता है , अतः नस्ल का चुनाव सबसे पहला कदम है मशरूम की खेती करने के लिए।
किन नस्लों की होती है भारत में खेती
भारत में मूलतः 5 प्रकार के मशरुम है जिनकी खेती व्यावसायिक स्तर पर किया जाता है और इनसे ही मोटा मुनाफा भी कमाया जाता है।
- ढींगरी मशरूम (ऑयस्टर)
- दूधिया मशरूम।
- सफ़ेद बटन मशरूम।
- पैडीस्ट्रा मशरूम।
- शिटाके मशरुम।
अतः ध्यान रहे की इन्ही 5 प्रकार के मशरूमों में से चुनाव करें।
कैसा वातावरण होना चाहिए?
अगर आप जानना चाहते हैं कि Mushroom ki kheti kaise karen (How to do Mushroom farming in Hindi), तो यह जानना बहुत ही जरूरी है की इसकी खेती के लिए उपयुक्त वातावरण कैसा होना चाहिए। बिना अच्छे वातावरण के मशरूम की पैदावार प्रभावित हो सकती है, और आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
वैसे तो अलग अलग किस्मो के लिए अलग-अलग वातावरण होना चाहिए लेकिन, ढींगरी मशरूम (ऑयस्टर) की खेती आप पूरे साल कर सकते हैं। अगर बात करें अनुकूल तापमान की तो इसके लिए सही तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट है, और आद्रता 80 से 90 प्रतिशत तक होनी चाहिए। इस मशरूम को उगाने के लिए ज्यादातर गेहू के भूसे और दानो का इस्तेमार किया जाता है। इस मशरूम को तैयार होने में करीब 2 से 3 महीना ही लगता है।
किस्म | तापमान (°C) | आद्रता (%) |
ढींगरी मशरूम (ऑयस्टर) | 20-30 | 70-90 |
दूधिया मशरूम | 25-40 | 40-70 |
सफ़ेद बटन मशरूम | 22-26 | 80-90 |
पैडीस्ट्रा मशरूम | 28-35 | 60-70 |
शिटाके मशरुम | – | – |
नोट: यह डाटा एक अनुमानित डाटा है, जो काफी रीसर्च करके इक्कट्ठा किया गया है।
लगने वाले कम्पोस्ट की गुणवत्ता (Mushroom ki kheti kaise karen)
एक अच्छी गुडवत्ता का खाद पैदावार को बढ़ने में बहुत ही मददगार साबित होता है। यदि आप अच्छी खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो पैदावार में अंतर देखने को मिल सकता है। अतः खाद की पहचान करना अति आवश्यक है।
कैसे करें अच्छे कम्पोस्ट की पहचान?
एक अच्छे कम्पोस्ट की पहचान निम्न तरीको से किया जा सकता है :
- खेती में लगने वाली खाद गहरे भूरे रंग की होती है।
- अगर बात करें इसकी नमी की तो इसमें नमी की मात्रा 60-65 प्रतिशत तक होनी चाहिए।
- खाद में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 1.75-2.25 प्रतिशत हो तो बहुत ही अच्छी बात है।
- खास बात जिसका ध्यान रखना चाहिए कि खाद अमोनिअ गैस की बदबू नहीं आणि चाहिए अन्यथा यह आपके फसल को नुकसान पहुंच सकती है।
- खाद कीट एवं रोगाणु रहित हो तो ज्यादा अच्छा है।
- ध्यान रहे कि खेती में प्रयोग होने वाली खाद का पी एच मान 7.2 से 7.8 के बीच होना चाहिए।
Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है।