Highlights :
- रक्षाबंधन मनाने के पीछे भगवान श्री कृष्णा की कहानी
- Video देख कर जाने सच्चाई ।
- शुभ मुहूर्त और पंचांग
- बहुत ही सूंदर और प्यारे रक्षाबंधन Quots।
रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसका नाम सुनते ही लोगो में खुसी की लहार उत्पन्न हो जाती है खासकर बहनो में। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशो में भी यह त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। सायद ही लोगो को न पता हो की यह क्यू मनाया जाता है। इस त्यौहार को मानाने के पीछे कई सारी कहानिया प्रचलित हैं। लोगो को बहुत सी कहानियो के बारे में पता भी होगा पर क्या आपको श्री कृष्ण और द्रोपदी की क्या कथा है इसके बारे में पता है ?
आइये आपको बताते है की इसके पीछे महाभारत और श्री कृष्ण की क्या कहानी है :
पूरी कहानी कैसे महाभारत से जुडी हुई है एक -एक बात आपको बताते है। पूरी कथा को ध्यान पूर्वक पढियेगा इस कथा का भी अपना एक अलग ही महत्व है। इस कथा के पढ़ने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है तो कथा को ध्यान से पढियेगा –
पांडवों को उनके ही राज्य से निकल दिया गया था और राज्य का एक टुकड़ा “इंद्रप्रस्थ” – जहाँ पर सर्पराज तक्षक का राज था सौँप दिया गया। पांडवो के सामने बहुत ही बड़ी दुविधा खड़ी हो गई थी कि यहाँ पर अपने राज्य का निर्माण किस प्रकार किया जाये। इसी बिच अर्जुन का युद्ध भी देवराज इंद्र के साथ हुआ था। इस युद्ध को रोकने के लिए वासुदेव श्री कृष्ण को आना पड़ा था। उसके पश्चात पांडवों ने बहुत ही मायावी महल का निर्माण किआ था। इस महल के निर्माण के पश्चात कृष्ण ने धर्म कि स्थापना हेतु युधिष्ठिर से राजसुई यज्ञ करने को कहा और कहा सभी राज्यों के राजाओं को निमंत्रण भी दें।
निमंत्रण के बाद सभी राजा गण वहाँ उपस्थित हुए थे उन्ही राजाओं में शिशुपाल भी आया था। शिशुपाल को कृष्ण के बेहद घृणा थी जबकि श्री कृष्ण ने उसकी माता को उसके 100 गलतियों ( पापोँ ) को क्षमा करने का वचन दिया हुआ था। परन्तु शिशुपाल का अंत आ गया था इसी वजह से वह सभा में उपास्थि कृष्ण समेत सभी लोगो को बुरा भला कहने लगा और यह भूल गया कि उसके सिर्फ 100 अपराध ही क्षमा करने का वचन दिए थे कृष्ण ने।
अतः कृष्ण ने उसका वध वही कर दिया , वध करते समय श्री कृष्ण कि उंगली काट गयी थी और उससे रक्त बह रहा था। यह देख द्रोपदी घबरा गयीं और तुरंत ही अपने साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण कि उंगलियों पर बांध दिया। बागवान कृष्ण द्रोपदी के इस कार्य से बहुत ही प्रसन्न हुए और उनकी रक्षा एक भाई कि तरह करने का वचन दिया और कहा कि जब भी तुम्हे मेरी जरुरत होगी बस एक बार मुझे स्मरण कर लेना। इसी वचन कि वजह से ही द्रोपदी के चीर हरण के वक्त अपनी लीला से सबको स्तब्ध कर दिया था।
इसके बाद महाभारत युद्ध में जाने से पहले कृष्ण ने युधिष्ठिर को यह सलाह दी थी युद्ध में खुद को और अपनी सेना को बचने के लिए राखी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इसपर पांडवो कि माता कुंती ने अपने सभी नातियों के हाथों में राखी बांधी थी और द्रोपदी ने श्री कृष्ण के हाथों पे राखी बाँधी थी।
शुभ मुहूर्त और पंचांग :
इस साल यह त्यौहार 3 अगस्त को पड़ रहा है। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कि बात करें तो यह 3 अगस्त दिन गुरुवार को सुबह 5:50 से शाम 6:01 तक है। इस बीच कभी भी बहने अपने भाइयों को रक्षाबंधन बांध सकती हैं।
बहुत ही सूंदर और प्यारे रक्षाबंधन Quots :-
चन्दन कि लकड़ी फूलों का हार,
अगस्त का महीना बारिश कि फुहार ,
भाई के हाथों पर बहन का प्यार ,
मुबारक हो आपको रही का त्यौहार।
धागों का है यह मजबूत बंधन ,
माथे पर है लगता चावल , रोली और चन्दन ,
मिठाई खिलाये प्यार से बहन हमारी प्यारी ,
देख के ऐसे अटूट प्यार को भर आया मन।
बहनों का प्यार किसी दुआ से काम नहीं होता ,
वो दूर भी हो तो गम नहीं होता ,
अक्सर दूरियों से रिश्तों कि मिठास काम हो जाती है ,
पर भाई बहन का प्यार कभी काम नहीं होता।
तोड़े से भी न टूटे यह ऐसा मन बंधन है ,
इस पवित्र बंधन को सब कहते रक्षाबंधन हैं।
पानी कि बूंदो से भी प्यारी है मेरी बहना ,
फूलों कि पंखुड़ियों से भी नाजुक है मेरी बहना ,
आसमान से उतरी कोई पारी है मेरी बहना,
सच कहूँ मुझे मेरी जान से प्यारी है मेरी बहना।
दोस्तों , भाइयों और बहनो उम्मीद करता हु कि यह पोस्ट आप सभी को पसंद आयी होगी और अगर इस पोस्ट को लेकर आपके मन में कोई संदेह है तो कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करे। और अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने Facebook , Whatsapp पर जरूर शेयर करे। रक्षाबंधन कि सबको बधाई। धन्यवाद !!!